सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- 7 साल से कम की सजा वाले बंदियों को कैसे दे सकते हैं पैरोल; विचाराधीन बंदियों की व्यक्तिगत पेशी पर भी तत्काल रोक लगाई

कोरोना के कहर से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने देश भर की जेलों और रिमांड होम के बंदियों की सुरक्षा के लिए एक गाइडलाइन जारी की है। सर्वोच्च न्यायालय ने सभी राज्य सरकारों को निर्देश दिए हैं कि बचाव के चलते जेलों की ओवरक्राउडिंग कम करने पर विचार करें। इसके लिए शीर्ष अदालत ने एक हाई पॉवर कमेटी का गठन करने के निर्देश दिए हैं। इस कमेटी में राज्य विधिक सेवा समिति के कार्यकारी चेयरमैन जस्टिस संजय यादव, प्रमुख सचिव गृह, प्रमुख सचिव जेल और डीजी जेल शामिल होंगे।


कमेटी इस बात पर विचार कर यह निर्णय लेगी कि इस दौरान सात साल से कम की सजा पाए बंदियों को कैसे पेराेल पर छोड़ा जा सकता है। इसके अलावा विचाराधीन बंदियों की जमानतों पर सुनवाई के संबंध में यह कमेटी निर्णय लेगी। 
सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिए हैं कि यदि किसी भी मरीज बंदी में किसी भी तरह का संक्रमण पाया जाता है तो उसे तत्काल नोडल मेडिकल संस्थान में शिफ्ट किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने विचाराधीन बंदियों की अदालत में व्यक्तिगत पेशी पर भी तत्काल रोक लगा दी है। इसी तरह शीर्ष कोर्ट ने भीड़ या जमाव कम करने, सामाजिक दूरी और स्वास्थ्य कारणों के अलावा अन्य किसी कारण से जेल बंदियों की एक जेल से दूसरी जेल में शिफ्टिंग पर भी पूरी तरह से रोक लगा दी है। 


निर्देशों का पालन करने संबंधी निर्णय लिए जाएंगे
- संजय चौधरी, डीजी जेल के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों के अनुरूप 26 मार्च को हाई पॉवर कमेटी के सदस्य वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए बैठक आयोजित की गई है। बैठक में शीर्ष कोर्ट के निर्देशों का पालन करने संबंधी निर्णय लिए जाएंगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट पेश की जाएगी।